ई-पंचायत व्यवस्था होगी लागू, ई-टेंडर से होंगे विकास कार्य, जिला परिषदों को मिलेगी टैक्स लगाने की छूट

 


ई-पंचायत व्यवस्था होगी लागू, ई-टेंडर से होंगे विकास कार्य, जिला परिषदों को मिलेगी टैक्स लगाने की छूट


ग्राम पंचायतों की कार्य प्रणाली में पारदर्शिता लाने के लिए हरियाणा में ई-पंचायत व्यवस्था लागू की जाएगी। ग्राम पंचायतों में पक्की गलियों जैसे विकास कार्य अब ई-टेंडर के माध्यम से ही होंगे। ग्रामीण विकास और विकास एवं पंचायत विभाग के लिए बजट अनुमान 2020-2021 के लिए 6294.79 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है।
 

यह 2019-20 के बजट की तुलना में  21.89 प्रतिशत अधिक है। अब, स्वच्छ भारत मिशन-ग्रामीण का ध्यान ओडीएफ प्लस पर है। पंचायतों में मृत पशुओं के निपटान की समस्या के समाधान के लिए वर्ष 2020-21 में प्रत्येक जिला परिषद को पशुसंख्या आधार पर एक या दो वाहन उपलब्ध करवाए जाएंगे। 

एक टोल फ्री नंबर दिया जाएगा जिस पर फोन कर मृत पशु की सूचना दी जा सकेगी और उसके निपटान की व्यवस्था सुनिश्चित होगी। पशुपालकों की सुविधा के लिए यह निर्णय लिया गया है कि भविष्य में प्रत्येक जिले में पहले से निश्चित स्थानों के अलावा कम से कम एक अन्य स्थान पर प्रति माह पशु मेले का आयोजन किया जाएगा। इस वर्ष निदेशक, विकास एवं पंचायत विभाग, डीसी की पंचों, सरपंचों, पंचायतों, और पंचायत समितियों संबंधित प्रशासनिक और वित्तिय शक्तियां अब मुख्य कार्यकारी अधिकारी, जिला परिषद को हस्तांतरित की जाएंगी। 


 



कार्यकारी अभियंता, पंचायती राज को भी जिला परिषद के अधीन किया जाएगा। जिला परिषदों को वित्तीय स्वतंत्रता प्रदान करने के लिए विभिन्न प्रकार का टैक्स लगाने की छूट दी जाएगी। सरकार केवल इन टैक्सों की न्यूनतम एवं अधिकतम दर निर्धारित करेगी। जिला परिषदों को हर वर्ष कम से कम 20 करोड़ से 25 करोड़ तक की अनुदान राशि उपलब्ध करवाने का भी निर्णय लिया गया है। 

वर्ष 2020-21 से महाग्रामों में अप्रिय घटनाओं की रोकथाम के लिए एलईडी स्ट्रीट लाईट लगवाई जाएंगी। महाग्रामों में समाजिक सुरक्षा एवं विकास कार्यों व स्वच्छता की निगरानी को सीसीटीवी कैमरे लगेंगे। जिन ग्राम पंचायतों के पास अपने आय स्रोतों से एक करोड़ रुपए से अधिक की जमा राशि उपलब्ध है उनमें भी एलईडी स्ट्रीट लाईट लगवाई जाएंगी।

हरियाणा ग्रामीण विकास प्राधिकरण को 50 करोड़ रुपये की राशि वित्त वर्ष 2020-21 में उपलब्ध करवाई जाएगी, जिन गांवों के लाल डोरे के भीतर के नक्शे तैयार हो जाएंगे, उन गांवों को एचआरडीए प्राथमिकता देगा। ग्राम पंचायतों की वार्षिक आय 350 करोड़ रुपये से बढ़कर 500 करोड़ रुपए तक हो सके, इसके कदम उठाएंगे। 

पंचायती राज संस्थाओं एवं शहरी स्थानीय निकायों को राज्य वित्त आयोग की अनुशंसा के आधार पर दी जाने वाली अनुदान राशि को समय पर दिया जाना सुनिश्चित करेंगे। ऐसे स्थानीय निकाय, जो कि वित्तीय तौर पर सुदृढ़ नहीं है उनको विकास कार्यों के लिए समान अनुदान दिया जाएगा बजट में केंद्रीय तथा राज्य वित्त आयोग, अन्य स्रोतों की सहायता को मिलाकर हर विधानसभा क्षेत्र में 80 करोड़ रुपये की दर से 7200 करोड़ रुपये वार्षिक धनराशि उपलब्ध करवाने का प्रावधान रखा गया है।